Duriyaan

बँदिशों से है रँजिश मुझे
बँदिशों के आसपास ही खैर, होती है ज़िद साकार..
पास रहुँ ज़ेहन- करीब तुम्हारे, पर आव़ारगी का हो खुमाऱ..
रूकते-चलते सह सको मुझे,तो तुम्हे भी ले जाऊँ इस भीड़ भरे कसमसाये, छँदहीन शहर के पार..
जहाँ तितलियाँ करती है हाथों पर ऐतबार
पक्षी चहकते होँ कानो के द्वार..
सुबह भी लहकती हुई,भरकर तुम्हे अपनी आग़ोश मे,गर्म कर जाये उस जिन्दादिली के लिये..
जिसमे दिल धड़कना बँद नही करते,
प्यार की आती कदमो को सुनकर ।
बल्कि झुमकर पुऱकशिश रह जाते हैँ
अधेँरी रात मे चमचमाते जुगनुओँ की तरह..
जिनका ठिकाना जगमगाते चाँद सितारों के पास तो नही पर उनसे ज्यादा दुर भी नही होता ..

Distance

I dislike the barriers, yet the barriers make us who we are
Let me stay near you and yet free like afar
If you could bear my coming and going, i would take you too,
To my world of butterflies trusting your hands,
Birds chirping to your ears
Mornings warm which hug you in its heat to make you alive such, that your heart doesn't stop breathing on nearing footsteps of love,but stays intoxicated like fireflies of night
So faraway from moons and stars and yet so much at home with them

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